*स्वस्थ थायराइड में है आपके स्वास्थ्य का राज़*
(डॉ श्रेया शर्मा,विशेषज्ञ, एंडोक्रिनोलोजी डिपार्टमेंट,मैक्स हॉस्पिटल, देहरादून)
हर वर्ष 25 मई को विश्व थायराइड दिवस मनाया जाता है। 2024 वर्ष के विश्व थायराइड दिवस की थीम “गैर-संचारी रोग (एनसीडी)” है। आज हम एक ऐसे विषय पर विचार विमर्श करने जा रहे हैं जो विश्व स्तर पर लाखों लोगों को प्रभावित करता है- यह है हमारी थायराइड ग्रंथि का स्वास्थ्य। थायराइड ग्रंथि तितली के आकार की एक ग्रंथि है जो हमारी गर्दन के सामने की तरफ, श्वास नली के पास ,स्थित होती है। यह ग्रंथि हमारे शरीर में महत्वपूर्ण भूमिका निभाती है। यह हमारी हृदय गति से लेकर हमारी ऊर्जा के स्तर तक, हर चीज को प्रभावित करती है ।इसलिए जब थायराइड ग्रंथि में कोई विकार या समस्या आ जाती है तब वह हमारे पूरे शरीर में होने वाली प्रक्रियाओं को प्रभावित करती है। थायराइड ग्रंथि से स्रावित होने वाला हार्मोन हमारे मेटाबॉलिज्म को नियंत्रित करता है ,अतः एक अस्वस्थ थायराइड सामाजिक और पारिवारिक प्रोडक्टिविटी को प्रभावित करती है।
विश्व में हर दस व्यक्ति में एक थायराइड की समस्या से ग्रस्त है। महिलाओं को थायराइड की समस्या होने की संभावना अधिक होती है। 35 वर्ष या उससे अधिक आयु के लोगों को थायराइड की समस्या होने की आशंका अधिक हो जाती है। थायराइड की समस्या अनुवांशिक रुप से परिवारों में चलती है।इसके जोखिम कारकों – जैसे उम्र, लिंग, पारिवारिक इतिहास और ऑटोइम्यून स्थितियों – को समझ कर हम इन रोगों का इनकी शुरुआती स्थिति में पता लगा सकते हैं, जिससे इनके उचित प्रबंधन में मदद मिलती है।
थायराइड की समस्याएं विभिन्न कारणों से पैदा हो सकती है। इनमें से कुछ थायराइड ग्रंथि की कार्यप्रणाली में बदलाव से होती हैं, जबकि अन्य थायराइड ग्रंथि की संरचना में परिवर्तन के कारण होती हैं। इन समस्याओं के कारण शरीर के अंदर थायराइड हार्मोन का संतुलन बिगड जाता है। हाइपोथायराइडिज्म में थायराइड ग्रंथि बहुत कम थायरोक्सिन हार्मोन बनाती है, जबकि हाइपर थाइरॉइडिज्म में थायराइड ग्रंथि अधिक थायरोक्सिन हार्मोन बनाती है। अतः सही निदान के बाद प्रभावी उपचार किया जाना आवश्यक है। कुछ लक्षण जैसे थकान, वजन में परिवर्तन, मनोदशा में बदलाव, और नींद में गड़बड़ी, जैसे कोई भी लक्षण दिखाई देते हैं, तो अपने चिकित्सक से परामर्श करने में संकोच न करें।
थायराइड के रोगों में सबसे महत्वपूर्ण बात यह है कि रोगी को चिकित्सक की निगरानी में नियमित रूप से जांच करानी चाहिए। समय-समय पर जाँच और रक्त परीक्षणों के माध्यम से, आपके चिकित्सक यह आकलन कर सकते हैं कि आप जो उपचार ले रहे हैं वह कितना प्रभावी है, तथा समय-समय पर आवश्यक बदलाव कर सकते हैं, और जान सकते हैं कि रोग की स्थिति में सुधार हो रहा है अथवा नहीं, और कोई जटिलता तो नहीं आ रही है ।
आइए महिलाओं के स्वास्थ्य पर थायराइड विकारों के महत्वपूर्ण प्रभाव पर चर्चा करें, विशेष रूप से गर्भावस्था के दौरान। माँ और गर्भ में पल रहे शिशु, दोनों के लिए इन रोगोंका उचित प्रबंधन बहुत ही महत्वपूर्ण है। यदि आप गर्भ धारण करने की योजना बना रही हैं,या पहले से गर्भवती हैं,तो यह बहुत आवश्यक है कि आप अपने चिकित्सक से अपनी थायराइड संबंधी जांच अवश्य करा लें, और थायराइड के स्वास्थ्य संबंधी कोई भी समस्या मिले तो अपने चिकित्सक से अवश्य विचार विमर्श करें, क्योंकि थायराइड संबंधी स्वास्थ्य समस्याएं आपके साथ, आपके बच्चे के वर्तमान, और भविष्य के स्वास्थ्य को प्रभावित कर सकती हैं, जिसमें शिशु का मानसिक विकास भी प्रभावित हो सकता है। थायराइड की समस्या से ग्रस्त महिलाओं में गर्भ धारण करने में भी समस्या हो सकती है।
अंत में, आइए अब हम जानेंगे कि थायराइड की समस्याओं के साथ हम कैसे इन बीमारियों का सही प्रबंधन करके ,सामान्य जीवन जी सकते हैं ।इसमें ,जीवन शैली और आहार की भूमिका बहुत महत्वपूर्ण है। एक संतुलित आहार, नियमित व्यायाम और तनाव प्रबंधन, आपकी थायराइड के स्वास्थ्य को सकारात्मक रूप से प्रभावित करता है। अधिकतर थायराइड की समस्याएं ऑटो इम्यूनिटी के कारण होती हैं जिसमें आपके स्वयं के शरीर की ओवर एक्टिव इम्यूनिटी की प्रतिक्रिया स्वरूप रोगों के लक्षण पैदा होते हैं । ऑटो इम्यूनिटी इवेंट के आकलन के लिए थायराइड एंटीबॉडी परीक्षण किया जाता है। थायराइड का अल्ट्रासाउंड परीक्षण, थायराइड ग्रंथि के आकार, या थाइरॉइड में गांठ इत्यादि की जांच के लिए किया जाता है। आयोडीन की भोजन में कमी से भी थायराइड की समस्याएं पैदा होती है। आयोडीन युक्त नमक खाने से थायराइड का स्वास्थ्य बना रहता है ।भोजन और व्यायाम जैसी स्वस्थ आदतें, आपकी चल रही चिकित्सा को ज्यादा प्रभावी बनाती है ,और थायराइड समस्याओं के बावजूद आपको सामान्य जीवन जीने में मदद करती हैं। इसके लिए आवश्यक है कि चिकित्सक के निर्देशन में हर दो से तीन महीने में थाइरॉएड फंक्शन टेस्ट करवाना चाहिए।
इसके लिए अपने चिकित्सक से लगातार विचार विमर्श आवश्यक है ।
थायराइड के उपचार में यह आवश्यक है कि आप प्रतिदिन थायराइड हार्मोन की गोलियां लें। महत्वपूर्ण बात यह है कि अपने चिकित्सक के निर्देश के बिना अपनी दवा बंद न करें और खुराक में बदलाव भी न करें।सही-सही और नियमित उपचार से थायराइड के लक्षणों से राहत मिल जाती है,और आप बिल्कुल सामान्य जीवन जी सकते हैं।
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