कहा जाता है कि मन में कुछ करने की तमन्ना हो तो मंजिलें खुद सामने आ जाती है….. उत्तरकाशी के सीमांत जनपद में जहां शिक्षा के नाम पर कई सालों से पलायन हो रहा है उसके साथ ही रोजगार न होने के चलते पहाड़ की युवा दूसरे राज्यों में अपना भविष्य सवार रहे हैं लेकिन कई ऐसे व्यक्ति भी पहाड़ों में अभी भी मौजूद है जो पहाड़ की पीड़ा को समझ रहे हैं और कई भागीरथ प्रयास भी कर रहे है … अक्सर उत्तरकाशी के सीमांत जनपद के लोग अच्छी शिक्षा और रोजगार लेकर उन्हें बाहरी राज्यों का रुख करना पड़ता है क्योंकि जनपद में अच्छी शिक्षा और अच्छा रोजगार न होने के चलते बाहर जाने के लिए मजबूर हो जाते है, लेकिन जो परिवार आर्थिक रूप से कमजोर है उन्हे भी अच्छी शिक्षा जनपद में मिले उसको लेकर उत्तरकाशी के धनारी क्षेत्र के डा हरिशंकर नोटियाल ने पहाड़ की पीड़ा को समझते हुए और यहां की युवा पलायन करे उसको देखते हुए अपने माता जी के नाम पर मजरा देवी विश्वविद्यालय की स्थापना 2005 में की जिसमें आज विश्वविद्यालय में हजारों छात्रों का भविष्य सांवर रहा है और सैकड़ो युवाओं को यहां रोजगार भी मिल रहा है जनपद में इस भगीरथ प्रयास की हर कोई सराहना कर रहा है उसके साथ ही अब स्कूल की नीव भी रखी गई है जिसमें छात्र छात्राएं कम खर्चे में शिक्षा ग्रहण कर रहे है और उसके साथ ही पूरी एजुकेशन फैसिलिटी भी मिल रही है … आज उत्तरकाशी जनपद के धनारी क्षेत्र में विश्वविद्यालय और स्कूल के निर्माण होने से उत्तरकाशी जनपद से लगे अन्य जनपदों से भी छात्र शिक्षा ग्रहण करने के लिए आ रहे हैं आज के समय में शिक्षा के क्षेत्र में मंजीरा देवी विश्वविद्यालय एक मील का पत्थर साबित हो रहा है
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