उत्तराखंड की भाजपा सरकार के राज में घोटालों की भरमार.
उत्तराखंड में सरकारों द्वारा घोटालों की शुरुवात राज्य बनाने के साथ ही शुरू हो गई थी। राज्य बनने के बाद भाजपा की पहली अंतरिम सरकार के कार्यकाल में सबसे पहला घोटाला जो उजागर हुवा वह था साइन बोर्ड घोटाला। इसके अलावा अंतरिम सरकार से लेकर कांग्रेस की पहली निर्वाचित सरकार, फिर भाजपा की सरकार, फिर कांग्रेस, फिर भाजपा, फिर भाजपा कौन सरकार ऐसी है जिसके कार्यकाल में घोटालों के आरोप नहीं लगे, हर नई सरकार ने अपनी पूर्ववर्ती सरकार पर घोटालों के अनेकों आरोप लगाये लेकिन किसी घोटाले में कोई बड़ा नाम अभी तक जेल नहीं गया. इसका मतलब साफ़ है की मिलीभगत है। हमाम में सब नंगे हैं। सब मिलकर घोटालों में व्यस्त और मस्त हैं. विगत 23 वर्षों में राज्य में भाजपा और कांग्रेस के राज में जो घोटाले उजागर हुए उनकी एक लम्बी फेहरिस्त है लेकिन आज हम जिस घोटाले की बात कर रहे हैं वह अब तक का सबसे बड़ा घोटाला दिखाई दे रहा है।
भारतीय महालेखा परीक्षक (सीएजी) की एक रिपोर्ट ने उत्तराखंड सरकार की 2021-2022 की जो रिपोर्ट प्रस्तुत की है उसमे उत्तराखंड सरकार के विभिन्न विभागों में 18341 करोड़ के घोटालों का आरोप लगाया है। यह रकम अभी हाल ही में आयोजित मानसून सत्र में पारित अंतरिम बजट से सात हजार करोड़ ज्यादा है। इस घोटाले में सबसे ज्यादा गड़बड़ी पॉवर कॉर्पोरेशन में हुई है. इसके अलावा अधिकांश विभागों में गड़बड़ियाँ पी गई हैं। यह घोटाला वर्तमान मुख्यमंत्री जी के कार्यकाल में हुवा है. लेकिन सब मैनेज कर लिया गया, यहाँ तक कि सदन में इस विषय पर कांग्रेस भी मौन रही. कांग्रेस के मौन का कारण है।
विधानसभा के मानसून सत्र में बुधवार को सदन के पटल पर प्रस्तुत भारतीय महालेखा परीक्षक (सीएजी) की एक रिपोर्ट ने उत्तराखंड में लगातार सरकारों के वित्तीय व्यय के अव्यवस्थित खर्च पर महत्वपूर्ण टिप्पणियाँ की है। कैग की यह रिपोर्ट अत्यंत चिंताजनक है। कैग की इस रिपोर्ट से भाजपा और कांग्रेस की सरकारों की मिलीभगत, मिलकर भ्रष्टाचार करने में मिलीभगत का खुलासा हुवा है। इस रिपोर्ट में कहा गया है कि “पिछले 20 वर्षों के दौरान याने वर्ष 2005 से 2021 तक की कार्य अवधि में राज्य की तत्कालीन सरकारों ने अपने कार्यकाल में विभिन्न मदों में 47,758 करोड़ रुपये की रकम को खर्च करना तो दिखाया है लेकिन इतनी लम्बी समयावधि बीत जाने के बाद भी इस खर्च की गई राशि का अनुमोदन विधानसभा से प्राप्त नहीं किया गया है। खर्च की गई इस 47758 करोड़ की भारी भरकम राशी जो उत्तराखंड सरकार के एक साल के बजट के आधे से अधिक है के खर्च करने की अनुमति विधानसभ से प्राप्त नहीं करना पूरी तरह से वित्तीय अनियमितता है। सीएजी की रिपोर्ट में राज्य सरकारों के कमजोर और गैरजिम्मेदाराना वित्तीय प्रबंधन पर टिप्पणी करते हुए इस धनराशि का इस्तेमाल जिन योजनाओं के लिए किया गया है उन पर वास्तविक अनुमान से अधिक पैसे खर्च किए जाने का भी इशारा किया है।
2005 से 2021 की अवधि में 5 सरकार, राज्य में 9 मुख्यमंत्री, 9 वित् मंत्री, मुख्य सचिव, वित् सचिव सब कुम्भकर्णी नींद सोये रहे या फिर भ्रष्टाचार की गन्दी धारा में मिलकर आपसी सहमती से बारी बारी से डूबकी लगाते रहे।
भारत के संविधान में स्पष्ठ रूप से अनुच्छेद 204 एवं 205 में व्यवस्था है कि राज्य में निर्वाचित सरकार की अनुमति के बिना किसी भी मद में किसी भी विभाग द्वारा एक भी रुपया खर्च नहीं किया जा सकता है, तो फिर इतने लम्बे अन्तराल तक बिना सदन की अनुमति के पैसा खर्च किया जाता रहा वितीय अनियमितता होती रही और सब लोग चुप चाप देखते रहे. सीएजी ने इसे संविधान के अनुच्छेद 204 और 205 का उल्लंघन बताया है। सीएजी ने रिपोर्ट में कहा है कि “2005-06 से 2020-21 के दौरान बिना सदन की अनुमति के खर्च किए जाने वाले 47,758.16 करोड़ रुपये को सदन द्वारा मंजूरी देने की अभी भी आवश्यकता है।
सदन में प्रस्तुत की गई सीएजी की रिपोर्ट में 31 मार्च 2022 को समाप्त होने वाले वित्त वर्ष पर सरकार के बजट प्रबंधन पर भी कई सवाल उठाए गए हैं। इसके अलावा कई विभागों द्वारा भी बिभिन्न परियोजनाओं जिनकी संख्या लगभग 100 से अधिक है पर काम शुरू करने के बाद उन परियोजनाओं को पूरा नहीं किया गया है।
कुल मिलाकर उत्तराखंड में राज्य निर्माण के बाद की सभी पांच निर्वाचित सरकारों ने उत्तराखंड की जनता के साथ छल करते हुए मिलीभगत से अपनी झोली भरने का काम किया है, जिस कारण राज्य की जनता महंगाई, बेरोजगारी, भुखमरी, बीमारी और अव्यवस्थाओं का दंश झेल रही है। राज्य पर कर्ज का बोझ बढ़ रहा है, विकास के काम दम तोड़ रहे हैं और राजनेताओं की मौज हो रही है। राज्य की जनता अपने मूल निवासी की पहचान वापस पाने की लड़ाई लड़ रही है, एक शसक्त भू क़ानून की मांग कर रही है, भौगोलिक आधार पर परिसीमन की मांग कर रही है लेकिन सरकार घोटालों में व्यस्त है।
हमारी मांग है कि घोटालों में जो लोग दोषी हैं उनके खिलाफ कानून सम्मत कार्यवाही की जाय, घोटालों की सीबीआई जांच कराइ जाय, अगर सरकार ऐसा नहीं कराती है तो भाजपा को सत्ता में बने रहने का कोई अधिकार नहीं है।
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